145 "माँ: जिस त्याग ने हमें नवोदय तक पहुँचाया, उसी ममता को आज सलाम!" - Navodaya Clap

"माँ: जिस त्याग ने हमें नवोदय तक पहुँचाया, उसी ममता को आज सलाम!"

"माँ: जिस त्याग ने हमें नवोदय तक पहुँचाया, उसी ममता को आज सलाम!"

Information hindi | By Admin | May 20, 2025


इतिहास से वर्तमान तक: मदर्स डे की शुरुआत

हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाने वाला Mother’s Day एक बेटी की माँ के लिए श्रद्धांजलि से शुरू हुआ।

अन्ना जार्विस, अमेरिका की एक साधारण सी बेटी, जिसने अपनी माँ को खोने के बाद ये ठान लिया कि दुनिया की हर माँ को सम्मान मिलना चाहिए।

1908 में पहला मदर्स डे मनाया गया, और 1914 में इसे आधिकारिक मान्यता मिली।

लेकिन सच कहें तो —

"जिसने हमें दुनिया में लाया, उसे एक दिन क्या… पूरी ज़िंदगी कम है!"

 

हर नवोदयन के लिए क्यों खास है यह दिन?

हर नवोदयन के जीवन में माँ की भूमिका कुछ अलग ही होती है।

 

जब पहली बार हॉस्टल के लिए माँ से दूर हुए, तब आँसुओं के पीछे माँ की ममता ही थी।

 

जब हॉस्टल में बीमारी में माँ नहीं थी, तब उसकी याद और दुआओं ने ही ताकत दी।

 

जब परिणाम अच्छे आए, तो सबसे पहले जिसे बताने का मन हुआ, वो माँ ही थी।

और जब जीवन में कभी कोई ठोकर लगी, तो सबसे मजबूत सहारा माँ की ही सोच और सीख बनी।

 

 

माँ के बिना कोई नवोदयन नहीं बनता।

माँ ही वो शक्ति है, जिसने हमें अपने घर से दूर भेजा — सिर्फ इसलिए कि हम कुछ बनें, उड़ें, और जीवन में कुछ बड़ा करें। उसकी ममता ने हमें आत्मनिर्भर बनने दिया, और उसकी दुआओं ने हर कठिन परीक्षा को आसान कर दिया।

 

आज का दिन हर नवोदयन को याद दिलाता है:

 

माँ की गोद अब भी सबसे सुकूनभरी जगह है।

 

माँ की बातें अब भी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं।

 

और माँ की मुस्कान अब भी सबसे बड़ा इनाम है।

 

तो इस मदर्स डे पर…

हर नवोदयन को चाहिए कि चाहे कितनी भी दूर हो, एक बार माँ को फोन करे, उनसे बात करे, या कम से कम दिल से कहे —

"माँ, जो कुछ भी हूँ, आपकी वजह से हूँ। आज भी आपका बच्चा हूँ।"

 

हर नवोदयन के लिए माँ क्यों है सुपरहीरो?

जब नवोदय की पहली घंटी बजी ⏰,

जब पहली बार माँ की गोद से दूर हॉस्टल गए 🏫,

जब चुपचाप तकिए में मुँह छुपाकर रोए 😢,

तब किसी ने सुना भी नहीं… लेकिन माँ को एहसास हो गया था।

 

> "माँ… आपसे दूर रहना सिखाया नवोदय ने,

लेकिन आपके बिना जीना आज भी नहीं आता!"

 

 

माँ ही थी जिसने कहा —

“जा बेटा, दुनिया देख… मैं यहीं रहूँगी तेरी दुआओं में।”

और फिर दिन-रात अपने आँचल को तकिये की तरह मोड़कर आपके लिए प्रार्थनाएँ करती रहीं।

 

 

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माँ: सबसे पहली कोच, सबसे बड़ी मोटिवेशन!

 

वो पहली टीचर थी 📚, जिसने ज़िंदगी का A, B, C सिखाया।

 

वो पहली डॉक्टर थी ⚕️, जिसने हर चोट को चूमा और दर्द चुरा लिया।

 

वो पहली दोस्त थी 🤝, जो सब समझती थी, बिना कहे।

 

और वो पहली मोटिवेटर थी 🔥, जिसने कभी हारने नहीं दिया।

आज का दिन क्यों है खास?

 

आज मदर्स डे है —

ना सिर्फ तोहफा देने का दिन है,

बल्कि दिल से “थैंक यू माँ” कहने का दिन है।

 

हर नवोदयन से अपील है:

 

माँ को आज फोन करें ☎️

 

दिल से कहें – "आपके बिना कुछ भी अधूरा है!"

 

और वादा करें — आपकी मेहनत और दुआओं को कभी व्यर्थ नहीं जाने देंगे!

Happy Mother’s Day to all the Supermoms!

 

आपके कारण ही हम 'Navodayan' हैं — उड़ते परिंदे, मजबूत इरादों वाले!

Thank you, Maa — You are the real CLAP behind every success!

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