Information hindi | By Admin | Jun 25, 2025
CIBIL स्कोर, Set-Off और Write-Off की पूरी जानकारी (Banking Point of View से)
भाग 1: CIBIL स्कोर – परिचय, महत्व और सुधार के उपाय
CIBIL स्कोर क्या होता है?
CIBIL (Credit Information Bureau India Limited) स्कोर एक 3 अंकों का स्कोर होता है जो आपकी क्रेडिट हिस्ट्री के आधार पर बनता है। यह स्कोर आम तौर पर 300 से 900 के बीच होता है।
> 700 स्कोर अच्छा माना जाता है और 750 स्कोर वाले व्यक्तियों को लोन और क्रेडिट कार्ड आसानी से मिल जाते हैं।
CIBIL स्कोर कैसे बनता है?
1. Payment History – समय पर EMI/क्रेडिट कार्ड भुगतान
2. Credit Utilization – कुल लिमिट में से कितना क्रेडिट यूज़ कर रहे हैं
3. Length of Credit History – पुराने अकाउंट्स की उम्र
4. Credit Mix – सिक्योर्ड व अनसिक्योर्ड लोन का मिश्रण
5. New Credit Inquiries – कितनी बार आपने नया लोन या कार्ड अप्लाई किया
अच्छा स्कोर क्यों जरूरी है?
फायदे:
जल्दी लोन अप्रूवल
कम ब्याज दरें
ज़्यादा क्रेडिट लिमिट
मजबूत फाइनेंशियल छवि
कैसे सुधारें?
समय पर भुगतान करें
क्रेडिट लिमिट के 30% से ज़्यादा खर्च न करें
बिना ज़रूरत क्रेडिट अप्लाई न करें
पुरानी क्रेडिट हिस्ट्री बनाए रखें
गलतियों के लिए रिपोर्ट समय पर चेक करें
CIBIL स्कोर चेक कैसे करें?
www.cibil.com पर जाकर
Paytm, Paisabazaar, BankBazaar जैसी साइटों से
साल में 1 बार फ्री में चेक करने का हक होता है
भाग 2: Set-Off – बैंकिंग में ग्राहक से बकाया वसूली का अधिकार
Set-Off क्या है?
बैंकिंग में Set-Off का मतलब होता है:
यदि किसी ग्राहक के पास एक ही बैंक में लोन अकाउंट और डिपॉज़िट अकाउंट (जैसे सेविंग्स, एफडी) दोनों हैं, और वह ग्राहक लोन नहीं चुका रहा, तो बैंक उसकी डिपॉज़िट राशि से बकाया एडजस्ट कर सकता है।
> इसे Right of Set-Off कहा जाता है।
Set-Off की शर्तें:
1. दोनों अकाउंट एक ही व्यक्ति के नाम पर हों
2. दोनों अकाउंट एक ही बैंक में हों
3. बैंक की पॉलिसी या नियमों के अनुसार हो
4. ग्राहक की मौन सहमति या लिखित अनुमति ली जा सकती है
Set-Off का Practical Example:
ग्राहक A के पास बैंक में ₹1 लाख की FD है
उसका ₹90,000 का पर्सनल लोन NPA हो गया
बैंक उसकी FD से ₹90,000 काटकर लोन बंद कर सकता है
भाग 3: Write-Off – बैलेंस शीट से लोन हटाने की प्रक्रिया
Write-Off क्या है?
जब कोई लोन लंबे समय तक NPA (Non-Performing Asset) बना रहे और बैंक को ये लगे कि वसूली मुश्किल है, तो वो उसे अपनी बैलेंस शीट से हटा देता है, इसे Write-Off कहा जाता है।
> इसका मतलब यह नहीं कि पैसा माफ कर दिया गया है — बैंक रिकवरी फिर भी कर सकता है।
Write-Off के प्रकार:
1. Technical Write-Off:
अकाउंटिंग के लिए बैलेंस शीट से हटाना
लेकिन रिकॉर्ड्स में चालू रहता है, रिकवरी चलती रहती है
2. Prudential Write-Off:
लोन के खिलाफ पूरी provisioning कर दी जाती है
उसे पूरी तरह से डूबत माना जाता है
Write-Off के बाद बैंक क्या करता है?
रिकवरी चालू रहती है (DRT, Lok Adalat, SARFAESI, Auction)
ग्राहक को सूट फाइल किया जा सकता है
केस NCLT (corporate borrower के लिए) भेजा जा सकता है
Write-Off का असर ग्राहक पर:
CIBIL स्कोर बहुत गिर जाता है
रिपोर्ट में "Written-Off – Settled/Unsettled" दिखता है
भविष्य में लोन मिलना कठिन हो जाता है
RBI गाइडलाइंस के अनुसार:
Write-Off की स्थिति में बैंक को पूर्ण provisioning करनी होती है
Set-Off ग्राहक की जानकारी/अनुमति के तहत होना चाहिए
Technical Write-Off और Actual Recovery को अलग से रिपोर्ट करना होता है
निष्कर्ष (Conclusion):
CIBIL स्कोर आपकी क्रेडिट विश्वसनीयता का प्रमाण है – इसे हमेशा अच्छा बनाए रखें
Set-Off: बैंक का अधिकार है कि वह ग्राहक के दूसरे अकाउंट से बकाया वसूल सके
Write-Off: बैंकिंग प्रक्रिया है जो खराब लोन को बैलेंस शीट से हटाने के लिए होती है
दोनों प्रक्रियाएं बैंक के NPA मैनेजमेंट का हिस्सा हैं और इनकी भूमिका वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में अहम है
CIBIL स्कोर -1 (या -1.00) का मतलब है कि व्यक्ति का क्रेडिट इतिहास नहीं है यानी उसने कभी भी कोई लोन, क्रेडिट कार्ड या EMI का उपयोग नहीं किया है।
इसे CIBIL की भाषा में "No History (NH)" या "-1 Score" कहा जाता है।
"-1" CIBIL स्कोर का मतलब क्या है?
ऐसा स्कोर किन लोगों का होता है?
जिन्होंने कभी भी कोई लोन नहीं लिया
जिनके पास क्रेडिट कार्ड नहीं है
बैंक लोन या EMI का कोई अनुभव नहीं रहा
नई उम्र के लोग (जैसे 18-21 साल के छात्र)
क्या -1 स्कोर खराब है?
नहीं। यह खराब नहीं, बल्कि "नई शुरुआत" की तरह होता है। इसका मतलब है कि CIBIL के पास अभी आपके लिए कोई डेटा नहीं है।
अगर मेरा स्कोर -1 है तो मुझे लोन कैसे मिलेगा?
1. बैंक या NBFC शुरुआत में सिक्योर्ड लोन या क्रेडिट कार्ड ऑफर कर सकते हैं
2. छोटे कर्ज से शुरुआत करें – जैसे gold loan, bike loan या consumer durable loan
3. एक बार हिस्ट्री बन गई तो स्कोर 6 महीने में generate हो सकता है
-1 स्कोर से 700 स्कोर तक कैसे जाएं?
1. एक secured credit card (FD के बदले मिलने वाला) लें
2. समय पर भुगतान करें
3. लिमिट के 30% से ज़्यादा खर्च न करें
4. 6-9 महीने में score बन जाएगा
5. इसके बाद आप regular loans के लिए eligible होंगे
जब आप किसी के लिए गारंटर (Guarantor) बनते हैं, तो आप यह वादा करते हैं कि अगर वह व्यक्ति लोन नहीं चुका पाया, तो आप उसे चुकाएंगे। यानी बैंक या फाइनेंशियल संस्था आपको भी लगभग उसी तरह ज़िम्मेदार मानती है जैसे उस व्यक्ति को जिसने लोन लिया है।
गारंटर का CIBIL से क्या संबंध होता है?
1. आपकी CIBIL रिपोर्ट में गारंटर वाला लोन भी जुड़ जाता है।
इसका मतलब है कि अगर वह लोन समय पर चलता है, तो आपकी रिपोर्ट पर असर नहीं पड़ता। लेकिन अगर उस लोन में देरी होती है या डिफॉल्ट होता है, तो आपकी CIBIL रिपोर्ट पर नेगेटिव असर आता है।
2. अगर लोन लेने वाला EMI नहीं देता तो दोष आपके सिर भी आता है।
ऐसे में बैंक आपको फोन करेगा, नोटिस भेजेगा, और यहां तक कि कोर्ट केस भी कर सकता है। क्योंकि आपने उसकी जिम्मेदारी ली है।
3. आपके खुद के लोन लेने की क्षमता पर असर पड़ता है।
जब बैंक आपको कोई नया लोन देने के लिए आपकी रिपोर्ट देखेगा, तो उसे ये गारंटी दिखेगी और वह मान सकता है कि आपने पहले से एक वित्तीय ज़िम्मेदारी ले रखी है। इससे आपकी क्रेडिट लिमिट कम हो सकती है।
4. अगर वह लोन NPA या Write-Off हो गया तो आपकी भी रिपोर्ट खराब हो जाएगी।
आपकी CIBIL रिपोर्ट में यह दर्ज हो जाएगा कि आप जिस लोन के गारंटर हैं, वह लोन डिफॉल्ट में चला गया है।
क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
गारंटर बनने से पहले उस व्यक्ति की सच्चाई और क्षमता की जांच कर लें।
सिर्फ भरोसे पर न जाएं – उसकी नौकरी, इनकम और पिछला रिकॉर्ड देख लें।
लोन चलने के दौरान उसकी EMI भरने की आदत पर नजर रखें।
अगर कहीं शक लगे, तो समय रहते सलाह दें या बैंक से संपर्क करें।
क्या करें अगर लोन डिफॉल्ट हो जाए?
तुरंत borrower से बात करें।
स्थिति न सुधरे तो खुद बैंक से संपर्क करें और समाधान निकालने की कोशिश करें।
कोशिश करें कि लोन restructure हो जाए या आप पार्ट पेमेंट कर सकें।
मामले को legal जाने से रोकना बेहतर होता है, क्योंकि इससे आपकी पूरी साख पर असर पड़ सकता है।
निष्कर्ष:
गारंटर बनना सिर्फ एक दस्तखत भर नहीं है, यह एक बड़ी वित्तीय जिम्मेदारी है। अगर लोन लेने वाला नहीं चुका पाया तो उसका सीधा असर आपकी साख, भविष्य के लोन और यहां तक कि आपकी मानसिक शांति पर पड़ सकता है। इसलिए यह फैसला सोच-समझकर लें।
Technical Terms In Cibil Report
1. Credit Score
यह 300 से 900 तक का नंबर होता है।
जितना ज्यादा स्कोर, उतना अच्छा कर्ज लौटाने का रिकॉर्ड।
2. DPD (Days Past Due)
आपने EMI कब तक देर से दी, यह बताता है।
"000" मतलब समय पर भुगतान।
"030" मतलब 30 दिन की देरी।
3. Write-Off
जब बैंक मान ले कि कर्ज वापस नहीं मिलेगा, तो उसे “write-off” किया जाता है।
इसका मतलब ये नहीं कि उधार माफ हुआ है, बस बैंक ने इसे नुकसान मान लिया है।
4. Settled
जब आपने पूरे लोन की जगह बैंक से समझौता कर कुछ हिस्सा ही चुकाया हो।
CIBIL में यह negative impact डालता है।
5. NPA (Non-Performing Asset)
जब लगातार 90 दिन तक EMI नहीं आई, तो लोन को NPA घोषित कर दिया जाता है।
6. Suit Filed / Wilful Default
इसका मतलब आपके खिलाफ बैंक ने केस किया है या आपने जानबूझकर भुगतान नहीं किया है।
यह बहुत खराब impact डालता है CIBIL पर।
7. Account Type
यह बताता है कि लोन किस तरह का है:
HL = Home Loan
PL = Personal Loan
CC = Credit Card
GL = Gold Loan
OD = Overdraft
8. Ownership Type
यह बताता है कि आप उस लोन के क्या हैं:
Individual – आपने खुद लोन लिया
Joint – किसी और के साथ मिलकर लिया
Authorized User – आप सिर्फ कार्ड यूज़र हैं
Guarantor – आपने गारंटी दी है
9. Enquiry
जब आप किसी बैंक से लोन के लिए आवेदन करते हैं तो वह आपकी CIBIL रिपोर्ट चेक करता है।
हर enquiry रिकॉर्ड होती है।
ज्यादा enquiries एक साथ हों तो स्कोर गिर सकता है।
10. EMI (Equated Monthly Installment)
हर महीने जो तय किस्त देनी होती है, उसे EMI कहते हैं।
11. Sanctioned Amount
बैंक ने आपको कितना लोन approve किया है।
12. Current Balance
अभी तक कितना लोन बाकी है।
13. Overdue Amount
EMI में जो पैसा समय पर नहीं चुकाया गया, वह overdue कहलाता है।
14. Account Status
Account Active, Closed, Written-Off, Settled, या Suit Filed में से जो भी हो – यह दर्शाता है कि आपका लोन किस स्थिति में है।
15. High Credit / Credit Limit
यह आपके कार्ड या अकाउंट की अधिकतम लिमिट दिखाता है।
Case Study: विशाल और उनका CIBIL स्कोर
परिचय:
विशाल एक मध्यमवर्गीय कर्मचारी हैं, जिनकी आय नियमित है। 2020 में उन्होंने एक बाइक लोन लिया और बाद में 2021 में एक पर्सनल लोन लिया। शुरुआत में सब ठीक चला, लेकिन एक छोटी सी गलती ने उनका पूरा CIBIL स्कोर बिगाड़ दिया।
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Step 1: शुरुआत - स्कोर का निर्माण
2020: विशाल ने ₹1.2 लाख का बाइक लोन लिया। EMI ₹3,500/month
उन्होंने हर EMI समय पर दी – इससे उनका CIBIL स्कोर 735 तक पहुँच गया।
Impact:
> समय पर भुगतान = अच्छा स्कोर
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Step 2: नया लोन - जिम्मेदारी बढ़ी
2021: विशाल ने ₹2 लाख का पर्सनल लोन लिया अपनी बहन की शादी के लिए।
EMI: ₹6,000/month
कुछ महीनों तक दोनों लोन की EMI टाइम पर दी।
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Step 3: गलती – एक चूक ने किया नुकसान
2022: कोविड की वजह से विशाल की नौकरी चली गई।
उन्होंने 3 महीने तक कोई EMI नहीं दी।
बैंक ने लोन को “NPA” घोषित किया और “Write-Off” कर दिया।
CIBIL Report में क्या आया:
DPD = 090 (90 दिन से ज़्यादा की देरी)
Account Status = “Written-Off”
Settled Amount: ₹1.2 लाख (समझौते में दिया गया)
Impact:
> स्कोर गिरकर 735 से 512 तक आ गया।
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Step 4: नया लोन लेना हुआ मुश्किल
2023 में विशाल ने फिर से नौकरी पाई और सोचा नया होम लोन लें।
लेकिन बैंक ने उनकी रिपोर्ट देखकर लोन देने से इनकार कर दिया।
वजह: पुराना Write-Off और Low Score
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Step 5: सुधार की शुरुआत
विशाल ने बकाया लोन का पूरा भुगतान किया (Settlement नहीं, Full Payment)।
उन्होंने एक छोटा सा Consumer Durable Loan लिया और उसकी EMI समय पर दी।
साथ ही, Credit Card की छोटी limit ली और हर महीने पूरा भुगतान किया।
2024 में उनका स्कोर धीरे-धीरे 650 तक पहुंचा।
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सीख (Learnings):
1. एक छोटी चूक या 2-3 EMI की देरी भी स्कोर बिगाड़ सकती है।
2. Settlement करने से लोन खत्म होता है लेकिन स्कोर सुधरता नहीं।
3. समय पर EMI, Credit Card का कम इस्तेमाल और पुराना loan closure स्कोर को बेहतर बनाते हैं।
4. CIBIL report सिर्फ स्कोर नहीं, पूरी आदतों की कहानी होती है।