Information hindi | By Admin | May 20, 2025
डब्बा ट्रेडिंग प्रतिभूतियों (securities) में अवैध और अनियमित ट्रेडिंग का एक रूप है। इसमें ट्रेडर्स किसी भी आधिकारिक SEBI मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर वास्तविक लेन-देन किए बिना ही सौदे करते हैं। ये सौदे केवल कागज़ों पर होते हैं और इन्हें डब्बा ऑपरेटर द्वारा आंतरिक रूप से निपटाया जाता है।
चूंकि ये लेन-देन किसी आधिकारिक स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर नहीं होते, इसलिए निवेशक स्टॉक एक्सचेंज द्वारा प्रदान की जाने वाली शिकायत निवारण व्यवस्था (grievance redressal mechanism) का लाभ नहीं उठा सकते।
इस तरह की ट्रेडिंग पूरी तरह से नियामक निकायों की निगरानी से बाहर होती है और यह न केवल अवैध है, बल्कि निवेशकों के लिए अत्यंत जोखिम भरी भी है।
डब्बा ट्रेडिंग में स्टॉक एक्सचेंजों पर किए जाने वाले सुरक्षित और गारंटीकृत ट्रेड्स के कोई लाभ नहीं मिलते। इसलिए, निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और किसी भी प्रकार की डब्बा ट्रेडिंग में शामिल नहीं होना चाहिए।
टैक्स चोरी और डब्बा ट्रेडिंग
डब्बा ट्रेडिंग का एक मुख्य उद्देश्य टैक्स से बचना होता है, जिसमें लोग अपने निवेश से हुए मुनाफे को टैक्स विभाग को नहीं बताते। भारत में individuals और businesses को इनकम टैक्स अधिनियम 1961 के तहत अपनी आय — जिसमें निवेश से प्राप्त लाभ भी शामिल है — पर टैक्स देना अनिवार्य है।
लेकिन डब्बा ट्रेडिंग को भारतीय कानून के तहत मान्यता नहीं है, इसलिए इन ऑफ-मार्केट सौदों से हुए मुनाफे को टैक्स विभाग ट्रैक नहीं कर सकता। इससे टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी चिंताएं बढ़ती हैं, क्योंकि डब्बा ट्रेडर्स नकद लेन-देन के जरिए बिना टैक्स चुकाए कमाई करते हैं।
भारत के वित्तीय बाजारों में डब्बा ट्रेडिंग एक लंबे समय से अनसुलझा मुद्दा रहा है। इसे बाजार में मूल्य विकृति (pricing distortion), सट्टेबाजी को बढ़ावा देने और अस्थिरता फैलाने का दोषी माना गया है। साथ ही इसे अवैध फंडिंग और टैक्स चोरी से भी जोड़ा गया है, क्योंकि डब्बा ट्रेडिंग आमतौर पर नकद में की जाती है और टैक्स के दायरे से बाहर होती है।
डब्बा ट्रेडर्स के पास आमदनी या लाभ का कोई वैध रिकॉर्ड नहीं होता, जिससे वे टैक्स देने से बच जाते हैं। उन्हें CTT (Commodity Transaction Tax) या STT (Securities Transaction Tax) भी नहीं देना पड़ता।
कानूनी दृष्टिकोण
सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) एक्ट, 1956 की धारा 23(1) के तहत डब्बा ट्रेडिंग एक दंडनीय अपराध है, जिसमें अधिकतम 10 साल की सजा या ₹25 करोड़ तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
उदाहरण (Mr. A का केस):
मान लीजिए Mr. A शेयर बाजार में निवेश करना चाहता है, लेकिन वह किसी अधिकृत स्टॉक एक्सचेंज या ब्रोकर के बजाय एक डब्बा ट्रेड ऑपरेटर के जरिए ट्रेड करता है। Mr. A के सौदे असली स्टॉक मार्केट में दर्ज नहीं होते — वे केवल कागज़ों या व्हाट्सएप/टेलीग्राम जैसे माध्यमों पर होते हैं।
अगर Mr. A को मुनाफा होता है, तो वह नकद में लेता है और इस मुनाफे को अपनी आय में दिखाता भी नहीं — जिससे वह इनकम टैक्स, CTT और STT जैसे कानूनी टैक्स से बच जाता है।
हालांकि, अगर Mr. A को घाटा होता है, तो वह न तो कोई कानूनी सहायता ले सकता है, न ही स्टॉक एक्सचेंज या SEBI में शिकायत दर्ज करा सकता है। इसके अलावा, अगर टैक्स विभाग या SEBI द्वारा जांच होती है, तो Mr. A को दंड, जुर्माना या जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है।
इसलिए, Mr. A जैसे निवेशकों को यह समझना चाहिए कि डब्बा ट्रेडिंग न केवल अवैध है, बल्कि जोखिम भरा भी है — और इससे बचना ही बुद्धिमानी है।
निष्कर्ष
हाल के वर्षों में भारत सरकार और टैक्स विभाग ने डब्बा ट्रेडिंग से जुड़ी टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। उन्होंने डब्बा ऑपरेटर्स और ट्रेडर्स के यहां छापे मारे हैं, नकदी और संपत्ति जब्त की है, और निवेशकों को गैर-अधिकृत नेटवर्क के खतरों के प्रति सचेत किया है।
सरकार ने वैध निवेश माध्यमों को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां लागू की हैं — जैसे कि पंजीकृत एक्सचेंज और ब्रोकर्स के जरिए निवेश करने पर टैक्स में छूट और अवैध ट्रेडिंग करने वालों पर सख्त दंड।
डब्बा ट्रेडिंग ने भारत के वित्तीय बाजारों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। इससे आधिकारिक एक्सचेंजों और ब्रोकर्स की आय में कमी आई है और निवेशकों का विश्वास भी डगमगाया है। इसके अलावा, यह वैध निवेशकों के लिए अनुचित प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाता है, क्योंकि डब्बा ट्रेडर्स नियमों से बाहर रहकर अनुचित लाभ उठाते हैं।
सलाह: निवेश हमेशा SEBI-पंजीकृत प्लेटफॉर्म और ब्रोकर्स के जरिए ही करें, ताकि न केवल आप सुरक्षित रहें, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बना सकें।