Current Affairs | By Admin | Jun 17, 2025
🌟 KGF की वापसी! — सोने की धरती फिर से चमकेगी
📍नई दिल्ली: दशकों बाद भारत की ऐतिहासिक और विश्वविख्यात Kolar Gold Fields (KGF) एक बार फिर जीवंत होने जा रही है। कर्नाटक में स्थित यह सोने की खान जिसे कभी "गोल्डन सिटी ऑफ इंडिया" कहा जाता था, अब आधुनिक तकनीकों के साथ फिर से शुरू की जा रही है।
💡 कैसे हुई शुरुआत?
साल 2024 के जून महीने में, कर्नाटक सरकार ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को हरी झंडी दी — जिसमें KGF की पुरानी 13 tailing dumps (खनन कचरे के पहाड़ों) को फिर से प्रोसेस कर सोना निकालने की योजना है।
ये क्षेत्र लगभग 1,003 एकड़ में फैला है और पहले भारत गोल्ड माइन्स लिमिटेड (BGML) की संपत्ति हुआ करता था।
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🪙 कितना सोना है अब भी बचा हुआ?
> 💼 आधिकारिक अनुमान कहते हैं कि इन कचरा पहाड़ियों में लगभग 32 मिलियन टन सामग्री है जिसमें से 23 टन शुद्ध सोना निकाला जा सकता है।
और जब पूरा संचालन शुरू होगा, तो हर साल लगभग 750 किलो सोना निकाला जा सकेगा!
अब ये कोई फ़िल्म की कहानी नहीं — हकीकत है।
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🔧 अबकी बार खदान नहीं, तकनीक बोलेगी!
पहले जहां गहरे शाफ्ट्स (सुरंगों) में जाकर खनन होता था, अब इस बार कोई सुरंग नहीं बनाई जाएगी।
Surface mining के ज़रिए heap leaching और carbon-in-pulp (CIP) जैसी आधुनिक और पर्यावरण-सुलभ तकनीक से सोना निकाला जाएगा।
इससे लागत कम होगी, काम तेज़ होगा और पर्यावरण पर प्रभाव भी न्यूनतम रहेगा।
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💥 KGF की वापसी क्यों है खास?
✅ आज़ादी के बाद पहली बार किसी सोने की खान का दोबारा चालू होना
✅ भारत में सोने का आयात कम करने की दिशा में बड़ा कदम
✅ कोलार क्षेत्र के लिए नई नौकरियाँ और आर्थिक गतिविधि
✅ भारत की पुरानी विरासत को नई तकनीक से जोड़ने का प्रतीक
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🏆 इतिहास की झलक
1956 में KGF का राष्ट्रीयकरण किया गया था।
कुल मिलाकर इस खदान से 900 टन से अधिक सोना निकाला जा चुका है।
लेकिन 28 फरवरी 2001 को इसे घाटे और बढ़ती लागत के कारण बंद कर दिया गया।
अब, केंद्र और राज्य सरकार की मंजूरी मिलते ही कार्य फिर शुरू किया जाएगा — और जैसे ही पर्यावरणीय और संचालन संबंधी अनुमतियाँ पूरी होंगी, वाणिज्यिक खनन का नया अध्याय शुरू होगा।
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✨ अंतिम शब्द:
KGF सिर्फ एक खान नहीं, ये इतिहास है — ये गौरव है — ये भारत की मिट्टी में बसी वह चमक है जो फिर से दुनिया को दिखेगी।
23 टन सोना और आधुनिक तकनीक — भारत का यह कदम सिर्फ खनन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनर्रचना है।