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"ईरान बनाम इज़राइल: दुश्मनी नहीं, आग का खेल!"

"ईरान बनाम इज़राइल: दुश्मनी नहीं, आग का खेल!"

Current Affairs | By Admin | Jun 17, 2025


🧨 ईरान बनाम इज़राइल: यह जंग क्यों… और कितनी ख़तरनाक?

 

"जब एक देश कहे — मौत हो अमेरिका को, और दूसरा बोले — खत्म कर दो उसके नेता को... तो यकीन मानिए, यह सिर्फ शब्द नहीं, इतिहास की सबसे खतरनाक जंग की तैयारी है।"

 

 

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📜 संघर्ष की शुरुआत: एक इतिहास जो आज तक जिंदा है

 

साल 1948 में जब इज़राइल बना, ईरान उस समय एक उदार मुस्लिम राष्ट्र था। उसने इज़राइल को मान्यता भी दी थी।

 

लेकिन 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई — और सत्ता में आया कट्टरपंथी इस्लामिक शासन।

 

नए नेता आयतुल्लाह खुमैनी ने इज़राइल को "शैतान का राज्य" करार दिया और संबंध तोड़ दिए।

 

तब से दोनों देश धार्मिक, वैचारिक, और सैन्य रूप से आमने-सामने हैं।

 

 

 

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🧠 प्रमुख कारण: क्यों एक-दूसरे के दुश्मन बने?

 

1. धर्म और वैचारिक दुश्मनी

 

ईरान एक शिया इस्लामी गणराज्य है — जबकि इज़राइल यहूदी राष्ट्र।

 

ईरान कहता है कि इज़राइल फिलिस्तीन की ज़मीन पर बना "अवैध देश" है।

 

वहीं इज़राइल को डर है कि ईरान उसे नक्शे से मिटा देना चाहता है।

 

 

2. ईरान का समर्थन आतंकियों को

 

ईरान खुलेआम इन संगठनों को सपोर्ट करता है:

 

हिज़बुल्लाह (लेबनान)

 

हामास (गाज़ा)

 

हौथी विद्रोही (यमन)

 

 

ये सभी संगठन इज़राइल पर हमले करते हैं।

 

 

3. परमाणु शक्ति का डर

 

ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम इज़राइल और अमेरिका दोनों के लिए चिंता का कारण है।

 

इज़राइल को लगता है कि ईरान यदि परमाणु हथियार बना लेता है, तो वह सिर्फ इज़राइल ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा है।

 

 

 

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🔥 ताजा घटनाएं: युद्ध की दहलीज़ पर दुनिया

 

✈️ हमास का हमला (अक्टूबर 2023)

 

गाज़ा से हामास ने इज़राइल पर हजारों रॉकेट दागे।

 

जवाब में इज़राइल ने गाज़ा में व्यापक बमबारी की।

 

इज़राइल का आरोप — हमास को हथियार और ट्रेनिंग ईरान देता है।

 

 

💣 सीरिया में ईरानी दूतावास पर हमला (अप्रैल 2024)

 

इज़राइल ने दमिश्क में ईरानी दूतावास को निशाना बनाया।

 

कई ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स मारे गए।

 

बदले में ईरान ने सीधे इज़राइल पर सैकड़ों मिसाइलें और ड्रोन दागे — पहली बार ऐसा हुआ।

 

 

 

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📺 नेतन्याहू का बयान: "अगर खमेनी को मार दें, जंग खत्म"

 

इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी चैनल ABC को दिए इंटरव्यू में कहा:

 

 

> “अगर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामेनेई को मार दिया जाए, तो यह संघर्ष हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।”

 

 

 

उन्होंने यह भी कहा:

 

 

> “हम युद्ध को भड़काना नहीं चाहते, हम इसे समाप्त करना चाहते हैं।”

 

 

 

उनका कहना है कि ईरान सिर्फ इज़राइल का नहीं, बल्कि अमेरिका का भी दुश्मन है — "Today it’s Tel Aviv, tomorrow it’s New York."

 

 

 

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🚨 अमेरिका की भूमिका और ट्रंप का विरोध

 

ट्रंप प्रशासन ने पहले एक प्रस्ताव वेटो कर दिया था जिसमें इज़राइल खमेनी को टारगेट करना चाहता था।

 

ट्रंप के सलाहकार ने कहा:

 

 

> “जब तक ईरान अमेरिका को नुकसान नहीं पहुँचाता, हम उसके नेताओं को टारगेट नहीं करेंगे।”

 

 

 

अब सवाल उठता है — क्या अमेरिका अब भी पीछे रहेगा?

 

 

 

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💥 कितना बड़ा हो सकता है यह युद्ध?

 

खतरा असर

 

⚠️ परमाणु युद्ध पूरे मध्य पूर्व में तबाही

⚠️ तेल संकट पूरी दुनिया में तेल की कीमतें उछलेंगी

⚠️ वैश्विक अस्थिरता अमेरिका, रूस, चीन जैसे देश खिंच सकते हैं

⚠️ आतंकवाद का विस्तार विश्व भर में आतंकी हमलों का खतरा

 

 

 

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📌 संक्षेप में:

 

यह सिर्फ दो देशों का झगड़ा नहीं — यह धर्म, राजनीति, शक्ति और वैश्विक प्रभुत्व की लड़ाई है।

 

एक चिंगारी से पूरी दुनिया जल सकती है — और हम सब इसका असर महसूस करेंगे।

 

 

 

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🔚 निष्कर्ष:

 

> "युद्ध की शुरुआत कोई भी कर सकता है, लेकिन उसका अंत कोई नहीं जानता।"

 

 

 

ईरान और इज़राइल का यह टकराव अब सिर्फ मिसाइलों और ड्रोन की लड़ाई नहीं, न्याय, धर्म, वर्चस्व और अस्तित्व की जंग बन चुका है।

 

जहाँ एक ओर इज़राइल कहता है — “हम आतंक को खत्म कर रहे हैं”, वहीं ईरान कहता है — “हम अपनी पहचान और क्षेत्र की रक्षा कर रहे हैं।”

 

अब देखना यह है कि क्या यह संघर्ष नियंत्रण में रहेगा या पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लेगा?