196 "मधापार: एक गाँव, जिसकी दौलत पर शहर भी हैरान!" - Navodaya Clap

"मधापार: एक गाँव, जिसकी दौलत पर शहर भी हैरान!"

"मधापार: एक गाँव, जिसकी दौलत पर शहर भी हैरान!"

Information hindi | By Admin | Jun 20, 2025


 

💰 मधापार: एशिया का सबसे अमीर गाँव — जो गांव नहीं, एक उदाहरण है!

 

जब भी हम "गाँव" शब्द सुनते हैं, तो ज़ेहन में एक तस्वीर बनती है — मिट्टी के घर, धूल भरी गलियाँ, बैलगाड़ियाँ, खेतों में काम करते किसान, कुओं से पानी भरती महिलाएं और नीम के नीचे हुक्का गुड़गुड़ाते बुजुर्ग।

 

लेकिन क्या हो अगर हम कहें कि अब हर गाँव वैसा नहीं रहा?

और एशिया का सबसे अमीर गाँव, ना तो चीन में है, ना जापान में, ना दक्षिण कोरिया में — वो यहाँ है, हमारे अपने भारत में।

 

और चौंकाने वाली बात ये कि यह गाँव न ही पंजाब, हरियाणा या दिल्ली जैसे 'अमीर राज्यों' में है — बल्कि है गुजरात के भुज जिले में!

 

🏡 मधापार: जहाँ हर घर में करोड़ों हैं... और हर मन में अपने गाँव का प्यार

 

मधापार — एक नाम, जो अब केवल एक गाँव नहीं, बल्कि एक आर्थिक चमत्कार बन चुका है।

 

लगभग 32,000 की आबादी और करीब 20,000 घर, और इनमें से 1,200 से भी ज़्यादा परिवार ऐसे हैं जो अब विदेशों में बस चुके हैं — अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया से लेकर अफ्रीकी देशों तक।

 

लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इन लोगों ने अपने गाँव को कभी नहीं छोड़ा।

चाहे शरीर विदेश में हो, लेकिन दिल आज भी मधापार की मिट्टी में धड़कता है।

 

💵 ₹7,000 करोड़ — एक गाँव की बैंक जमा राशि!

 

जी हां, आपने सही पढ़ा। मधापार के गाँववासियों के पास ₹7,000 करोड़ से भी ज़्यादा की फिक्स्ड डिपॉज़िट राशि है — और ये सब जमा है गाँव के ही बैंकों में।

 

SBI, ICICI, HDFC, PNB, Axis, Union Bank — कुल मिलाकर 15 से ज़्यादा बैंक ब्रांचेस इस एक गाँव में हैं। और अब भी कई बैंक अपनी शाखाएं खोलने के लिए लाइन में हैं।

 

✈️ NRI शक्ति — जो गाँव को गाँव नहीं रहने देती

 

मधापार की आधी से ज़्यादा आबादी NRIs (Non-Resident Indians) की है। ये लोग बाहर कमाते हैं, लेकिन अपनी कमाई गाँव के विकास में लगाते हैं।

 

अफ्रीका में इनका बड़ा नेटवर्क है, खासकर कंस्ट्रक्शन बिज़नेस में। लेकिन सबसे खास बात है — ये गाँव की बैंकों में भरोसा रखते हैं। विदेशी बैंकों के बजाय, अपने गाँव की शाखाओं में पैसा जमा करते हैं।

 

यह अपने आप में विश्वास और संस्कारों की मिसाल है।

 

🏫 सुविधाएं जो शहरों को भी शर्मिंदा कर दें

 

यहाँ के बैंक मैनेजर बताते हैं कि —

 

> “गाँव में हर सुविधा है — शुद्ध पानी, चौड़ी सड़कें, बेहतर सीवरेज, बंगलों जैसे घर, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, मंदिर और साफ़-सुथरे तालाब तक।”

 

 

 

यहाँ का इंफ्रास्ट्रक्चर कई शहरों को पीछे छोड़ चुका है।

और ये सब हुआ है प्रवासी मधापारवासियों की मेहनत और लगाव से।

 

🌍 लंदन से जुड़ा एक गाँव!

 

मधापार के लोग केवल पैसा ही नहीं, समाज की भावना भी साथ लेकर चलते हैं।

U.K. में मधापार विलेज असोसिएशन नाम का एक संगठन बना है — जो विदेश में बसे लोगों को एक-दूसरे से जोड़ता है और गाँव की छवि को पूरी दुनिया में फैलाता है।

 

❤️ गाँव का असली अर्थ – जड़ों से जुड़ा भविष्य

 

मधापार ने यह साबित कर दिया कि गाँव केवल धूल और गरीबी की पहचान नहीं, संभावनाओं और संस्कारों की भूमि भी हो सकते हैं।

जहाँ लोग चाहे कहीं भी चले जाएँ, लेकिन अपनी ज़मीन, अपने गाँव और अपने मूल्यों को साथ लेकर चलते हैं।

 

 

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📌 तो अगली बार जब कोई कहे कि “गाँवों में क्या रखा है”, तो उसे मधापार की कहानी सुनाइए।

 

> "क्योंकि ये सिर्फ़ एक गाँव नहीं,

भारत के भविष्य का वो आईना है,

जिसमें हर भारतीय को अपना अक्स दिखाई देता है।"