Information hindi | By Admin | May 20, 2025
टूटी झोपड़ी, चीथड़े कपड़े और भरपेट खाना नहीं, आज 43 मिलियन पैकेज, मिलिए IITB से गूगल पहुंचने वाले अशोक से
गरीबी, संघर्ष और चुनौतियों के अंधकार से निकलकर सफलता के शिखर तक पहुंचने की एक सच्ची कहानी – यह कहानी है अशोक तालपात्रा की, एक ऐसे नवोदयन की जिसने झोपड़ी में टपकते पानी के नीचे पढ़ाई की, IIT में देश के टॉप 100 में जगह बनाई और आज गूगल में करोड़ों कमाने वाले चुनिंदा इंजीनियरों में शामिल हैं।
संघर्ष की शुरुआत: जब छत से पानी टपकता था...
हैदराबाद की तंग गलियों में बसी एक झुग्गी, जहां रहने वाला परिवार कभी-कभी सिर्फ उबले चावल और अचार खाकर दिन गुजारता था। बरसात में झुग्गी में इतना पानी भर जाता कि रातें जागकर काटनी पड़तीं। माता-पिता की कमाई ₹10,000 महीने से भी कम थी, लेकिन इसी माहौल में एक बच्चा अपनी तकदीर बदलने का सपना देख रहा था – अशोक।
नवोदय: जहां सपनों को उड़ान मिली
अशोक की किस्मत बदली जब उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय (JNV गचीबोवली, हैदराबाद) में दाखिला लिया। नवोदय में कदम रखते ही उन्होंने जाना कि यह सिर्फ एक स्कूल नहीं, बल्कि ऐसे हजारों छात्रों के लिए आशा की किरण है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं।
नवोदय ने उन्हें सिर्फ किताबों की शिक्षा ही नहीं दी, बल्कि सिखाया कि मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास से कुछ भी संभव है।
IIT बॉम्बे का सफर: जब मेहनत रंग लाई
अशोक ने 12वीं में 95.2% और 10वीं में 95.4% अंक हासिल किए। लेकिन यह तो बस शुरुआत थी! 2010 में उन्होंने IIT-JEE में ऑल इंडिया रैंक 63 हासिल कर IIT बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस में दाखिला लिया। एक झोपड़ी में पला-बढ़ा नवोदयन अब भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान में था।
IIT में उन्होंने 9.13 CGPA के साथ पढ़ाई पूरी की और दुनिया की बड़ी टेक कंपनियों में जगह बनानी शुरू की।
गूगल तक का सफर: नवोदयन की उड़ान
आज अशोक स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में गूगल के स्टाफ सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। गूगल में उनकी टीम के तहत कई विश्वस्तरीय इंजीनियर काम करते हैं। वह हर साल 43 मिलियन रुपये से ज्यादा कमाते हैं और गूगल के टॉप पेड इंजीनियरों में से एक हैं।
नवोदयन जो अपने परिवार का नसीब बदल लाया
अशोक ने न सिर्फ अपनी जिंदगी बदली, बल्कि अपने माता-पिता को गरीबी से निकालकर एक शानदार जीवन दिया। जिनके लिए कभी एक वक्त का खाना मुश्किल था, आज वे सम्मान और समृद्धि के साथ जीवन जी रहे हैं।
यह सिर्फ अशोक की कहानी नहीं, हर नवोदयन की कहानी है!
अशोक का सफर यह साबित करता है कि नवोदय सिर्फ एक स्कूल नहीं, बल्कि संघर्ष करने वालों का परिवार है। यह उन बच्चों को मौका देता है, जिनके पास सिर्फ सपने होते हैं और मेहनत करने का हौसला।
हर नवोदयन की तरह अशोक भी अपने संघर्षों को जीत में बदलने का जज़्बा लेकर निकले और दुनिया को दिखा दिया कि "हम नवोदय वाले हैं, जहां भी जाएंगे, कुछ बड़ा करके ही लौटेंगे!"
अगर आपको भी इस कहानी ने प्रेरित किया, तो इसे हर नवोदयन तक पहुंचाएं। नवोदय की इस ताकत को दुनिया को दिखाएं!