Information hindi | By Admin | Sep 05, 2025
💡 वो अरबपति जिन्होंने eBay को उसकी ही चाल में मात दी
सोचिए… 1990 का दशक है। इंटरनेट की दुनिया में हलचल मची है। हर कोई डॉट-कॉम बूम की लहर पर सवार होना चाहता है। तभी सामने आता है एक नाम – eBay। Online auctions का राजा। दुनिया कहती है – “अब इस बाज़ार में जगह नहीं बची।”
लेकिन तीन जिद्दी उद्यमियों ने ये बात मानने से इनकार कर दिया।
उन्होंने eBay को 200 से ज़्यादा ईमेल भेजे – “आओ, साथ काम करते हैं, मिलकर कुछ बड़ा बनाते हैं।”
लेकिन eBay चुप रहा। कोई जवाब ही नहीं दिया।
अब ज़रा सोचिए – आपके साथ ऐसा होता तो?
अधिकतर लोग हार मान लेते। लेकिन इन तीनों ने क्या किया?
उन्होंने कहा – “अगर दरवाज़ा नहीं खुलता, तो अपनी चाबी बना लो।”
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🚀 पहला कदम – iBazar
उन्होंने eBay का मॉडल उठाया, गौर से देखा और यूरोप में उसी का क्लोन बना डाला – iBazar।
धीरे-धीरे यह site इतनी तेजी से बढ़ी कि eBay को डर लगने लगा।
आख़िरकार eBay ने 2001 में iBazar खरीद लिया – 43 मिलियन डॉलर में।
मतलब, जो जवाब नहीं दे रहे थे, उन्हें अब पैसे खर्च करके जवाब देना पड़ा।
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🌍 रुकना नहीं है – अगला दांव
इन उद्यमियों ने यही खेल बार-बार खेला।
जहाँ eBay ने ध्यान नहीं दिया, वहाँ उन्होंने नया क्लोन खड़ा कर दिया।
जहाँ resistance मिला, वहाँ उन्होंने अवसर देखा।
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📞 सबसे बड़ा धमाका – Skype
अबकी बार उन्होंने auction साइट नहीं बनाई।
उन्होंने सोचा – “लोगों को बात करने का आसान तरीका दो।”
2003 में जन्म हुआ Skype का।
और फिर क्या हुआ?
2005 में eBay ने Skype को 2.6 बिलियन डॉलर में खरीद लिया।
eBay ने सोचा कि communication marketplace को बदल देगा – लेकिन integration कभी सफल नहीं हुआ।
पर तब तक इन उद्यमियों ने जेबें भर ली थीं।
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🎭 Opportunist या Genius?
Silicon Valley में बहुतों ने उन्हें opportunist कहा।
“ये visionary नहीं, बस दूसरों के ideas को उठाकर बेच देते हैं।”
लेकिन असली तस्वीर?
उन्होंने दिखा दिया कि originality से ज्यादा ज़रूरी है – ज़िद, persistence और timing।
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📚 Navodaya Lesson – हम क्या सीखें?
Navodayan spirit हमेशा यही कहती है –
जब कोई आपको ignore करे, तो हार मत मानो।
अगर दरवाज़ा बंद हो, तो नया दरवाज़ा बनाओ।
सबसे बड़ा खिलाड़ी भी आपको नज़रअंदाज़ नहीं कर पाएगा अगर आप लगातार और सही समय पर चाल चलो।
यानी, पहला होना ज़रूरी नहीं, relentless होना ज़रूरी है।
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✨ आख़िरी संदेश
ये कहानी हमें याद दिलाती है कि कभी-कभी जीत originality से नहीं, बल्कि हार न मानने से मिलती है।
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